
बक्सर के सदर अस्पताल में आईसीयू वार्ड इन दिनों खुद आईसीयू में पड़ा है। मशीनें बंद, दरवाजे पर ताला और भीतर पसरा सन्नाटा, लेकिन सरकार की नजर में सब कुछ क्रियाशील है। यह कोई मजाक नहीं, बल्कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की कड़वी हकीकत है, जहां एक तरफ स्वास्थ मंत्री आईसीयू को चालू बताते हैं, वहीं उसी जिले के सिविल सर्जन कहते हैं कि चालू नही है. दरअसल डुमरांव विधायक डॉ. अजित कुमार सिंह द्वारा विधान सभा के मानसून सत्र में जब सदर अस्पताल के आईसीयू की स्थिति पर सवाल उठाया गया , तो स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब दिया कि बक्सर का आईसीयू पूरी तरह कार्यरत है। जवाब सुनकर किसी को भ्रम हो सकता है कि अस्पताल में मरीजों की सेवा हो रही होगी, मशीनें बीप-बीप कर रही होंगी, डॉक्टर चौबीसों घंटे तैनात होंगे। लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि आईसीयू में ताला लटका है।
स्वास्थ मंत्री को मिला गलत रिपोर्ट: बीते बुधवार को ताला खोला गया, तो अंदर 10 बेड वाला आईसीयू वार्ड जरूर दिखा, लेकिन न स्टाफ, न डॉक्टर और न ही कोई तकनीकी उपकरण चालू अवस्था में मिला। पूछने पर सिविल सर्जन डॉ. शिव प्रसाद चक्रवर्ती ने दो टूक जवाब दिया कि जब से मैंने पदभार संभाला है, आईसीयू चालू नहीं हुआ। संसाधनों की कमी है। डॉक्टर की भी कमी थी। हाल ही में एनेस्थीसिया के डॉक्टर आए हैं। अब तकनीकी संसाधन उपलब्ध हो तो आईसीयू को शुरू किया जाएगा अब सवाल उठता है कि स्वास्थ्य मंत्री आखिर किस आईसीयू की बात कर रहे थे? इस पूरे घटनाक्रम ने स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोल दी है। यह जांच का विषय है..
’चालू कराने को समाजसेवी हरेकृष्ण ने किया थाअनशन’
इसकी पटकथा तब लिखी गई जब डुमरांव प्रखंड के नंदन गांव के समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता हरे कृष्ण